तिमिर
तिमिर
पृथ्वी पर फैला तिमिर चहूं ओर,
राह है कठिन डगमगाये कदम है।
कहीं युद्ध के बारूद से छाया अंधियारा
कहीं विचारों के भेद से सिमटा उजियारा।
तिमिर को भेद जीवन आलोकित कर दो,
अंतस को विचलित करते भाव मिटा दो।
राह का तिमिर छंट जायेगा,
बस एक एक प्रेम दीप जला दो।
पृथ्वी की उज्ज्वलता लौटा दो,
मृत देह में तुम जीवन भर दो।
अपनी धरा को कर आलोकित ,
ऋण अपना अपना अदा कर दो।