स्वस्थ जीवन संसार का।
स्वस्थ जीवन संसार का।
स्वस्थ जीवन हो समस्त संसार का,
दुआओं में भगवान जी से मागँते है।
यारों रुप की नगरी से क्या खरीदोगे,
जब स्वस्थ जीवन ही नहीं जिओगे।
सांसें जब नहीं चलेगी हमारी ढंग से,
ज़िंदगी का लुत्फ कैसे-कैसे उठाओगे।
जीवन को अमृत का सागर है बनाना,
तो सुबह उठकर व्यायाम जरूर करना।
हम हर सुख-सुविधा पाने को रहते आतुर,
तन को स्वस्थ रखने में क्यों ना बनते चतुर।
धन-दौलत एशो-आराम कसौटी बन गया,
शरीर जो माटी का पुतला कमजोर हुआ।
आज के खान-पान दिनचर्या ने हमारे,
तन-मन को कितने घाव पर घाव दिए।
सबको मिलकर नई शुरुआत हैं करनी,
शरीर की देखभाल संभल-संभल करनी।
