रंग
रंग
आज फिर
रंग पर आकर
जिंदगी है ठहरी।
आईना भी देख
आज हुई टीस
बहुतेरी।
पापा की परी हूं,
मम्मी की छवि हूं,
पर नहीं हूं
हूर की परी मैं।
मैम सा नहीं
गोरा रंग है मेरा।
मैं जीती हूं
जिंदगी बेबाक।
कमी मुझ में नहीं ,
तुममें कई है।
काले गोरे की
जमात में बैठे,
अनपढ़ तुमसे कई हैं।