बुढ़ापे में रोमांस।
बुढ़ापे में रोमांस।
कविता: बुढ़ापे में रोमांस।
सिर्फ कुछ लफ़्ज़ों में प्यार की कहानी,
इक तो सुन्दरता और दूसरी ज़वानी है।
हमनें हाथों में जब से बुढ़ापा संभाला है,
जवानी को बाँधकर बीच की राह ढूंढी है।
अब करें गिले-शिकवे तो तुमसे क्या जाना,
तुम्हारे तानों ने तो रोमांस को फूंक डाला है।
जो हमें जान से भी प्यारा हैं ना हमारा चाँद,
जो सिर्फ रातों में ही नहीं दिन में भी हमारा।
प्यार के रिश्तों का क़ौल प्यार भी है ज्यादा,
भूलें नामुमकिन उम्रभर चाहेंगे क़ौल हमारा।
प्यार किया है प्यार करेंगे तुमसे ही तो सनम,
प्यार अपना कुछ गीतों कुछ ग़ज़लों में ढाला।

