माँ वरदान है
माँ वरदान है
क़ुदरत तेरा हम पे बड़ा एहसान है
माँ तो एक वरदान है।
तन्हा रहकर हमें पाला है
ख़ुद भूखे रहकर, खिलाया निवाला है।
हमें बंद कर अकेले, काम करने जाती थी
भाग-भाग कर आकर फिर हमें खिलाती थी।
ख़ुद पसीने में रहकर, पंखा ह मपे डुलाती
गर्मी न लगे हमें, इसी ख़्याल में पूरी रात जाग जाती।
बुखार भी जो आया कभी तो बहाने करती थी
दही खाकर ठीक हो जाऊँगी ऐसा कहती थी।
क़र्ज़ लेकर कभी बोझा ढो कर हमें पढ़ाया
जो दर्द व ग़म से गुज़रे उसका पड़े न हम पे छाया।
तन्हाई में जी भर कर रो लिया करती थी
कुछ चुभ गया आँखों में ऐसा कहा करती थी।
कुछ इस तरह हमें पाला है
अंधेरे घर में किया उजाला है।