STORYMIRROR

Vinay Panda

Tragedy

3  

Vinay Panda

Tragedy

तिलांजलि

तिलांजलि

1 min
430

जिस दुनिया को हमनें, हमेशा अपना जाना

दे दी तिलांजलि उसे जब वो अपना नहीं मानी..!


कर दिये हम श्राद्ध उसके खयालों का

जब वो मेरे किसी काम की नहीं थी।


हर वसूल को तोडा मैनें जिसके लिए

इंतज़ार उसे मेरे श्राद्ध की पूड़ी का है।


नही आती याद अब उसकी, दिल नें भुलाया उसे

छोड़कर सब मन तिलांजलि दे बैठा उसे..!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy