तेरी यादों का रेला ..!
तेरी यादों का रेला ..!
तेरी यादों का रेला
कुछ इस कदर
मेरे एहसासों से गुजर गया,
मेरे दुःखी मन को जाने कब
चुपके से छू गया,
छटपटा मन मसोज
मैं बस उसे
यूं ही तकता रहा,
अपनी बेख्याली में इधर उधर
बेवजह भटकता रहा,
लम्हें तेरी यादों के
जहन में मेरे उतरते रहे
दर्द देते रहे
जान मेरी लेते रहे,
जब धरती की मुस्कराहट,
चिड़ियों की चचाहहट,
गरजते बादलों की हर आहट,
मेरे हाथों में सिमटे
यादों के सुनहरे मोतियों को
बिखरने से नही रोक पाए,
समुद्र का पानी
सीपियों को किनारों की रेत पर
बेसहारा
छोड़ कर चला आए,
मेरे आंखों में
ठहरे आंसू भी खुद को
बहने से नही रोक पाए,
वे चुपचाप मायूस हो
गालों पर बहने लगते हैं
दर्द की इंतहा कहने लगते हैं,
दिल कश्मशा जाता है
मायूस हो चेहरे को
अपनी गोद में छिपा लेता है,
अल्फाज रुक रुक कर
रूंध गले से
अटक अटक कर निकलते हैं,
बिछुड़न किसी अपने के
गुम होने से
मिले दर्द को हरदम सहते रहते हैं,
मैं बस खामोश
दूर पहाड़ों को तकता रहता हूं
आते जाते खाली पगडंडियों में
अपनों की राह देखता हूं,
थक जाता हूं जब
फिर हार कर,
बैठ यादों की पोटली को
बस उलटता पुलटता रहता हूं,
लगता है मानो
कोई मुझे
मेरे अरमानों को
यूं लूट कर चला गया,
ले गया प्यार मेरा
यादों को अपनी
बेसहारा छोड़ गया,
मैं बस खाली बैठा
इन यादों संग
जी लेता हूं
अपनी एक जिंदगी,
बिलकुल
तन्हा अकेला
इस तन्हा सफर में......!
