STORYMIRROR

Sonam Kewat

Romance Fantasy

4  

Sonam Kewat

Romance Fantasy

प्यार निगाहों में किया करो

प्यार निगाहों में किया करो

1 min
277

किसी रोज निगाहें भर के हमें भी देखो 

शायद दिल लगाने का बहाना मिल जाए 

मैं तो तुम पर जाने कब का मर चुका हूं 

शायद तुम्हें भी मुझमें याराना मिल जाए 


यूं सरेआम देखकर भी तुम आखिर

नजरंदाज क्यों हमेशा करती हो 

क्या कोई बात है जो छिपा रही हो

या नजरें मिलाने से भी डरती हो


प्यार है तो कुछ देर की किए बिना 

मुझे बेझिझक आकर खुद बता देना 

या निगाहें मिलाकर बैठो साथ मेरे 

और फिर प्यार ना हो तो बता देना 


दिल की बात कहना बस में नहीं 

इसलिए लिखना मुझे सही लगा है 

तुम मुझे सुनोगी तो नहीं शायद पर 

पढ़ोगी जरूर इतना तो मुझे पता है 


दिल्लगी है तो निगाहों को मिलाकर 

थोड़ा सा तुम झुका लेना और 

दिल की बेचैनियां बढ़ने लगे तो 

झुकी निगाहों को फिर से उठा लेना


अगर मुझे नहीं चाहतीं तो कोई बात नहीं

मेरी बातों को दिल पे मत लिया करो

और अगर जमाने का डर है तो

भला प्यार निगाहों से ही किया करो



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance