प्यार निगाहों में किया करो
प्यार निगाहों में किया करो
किसी रोज निगाहें भर के हमें भी देखो
शायद दिल लगाने का बहाना मिल जाए
मैं तो तुम पर जाने कब का मर चुका हूं
शायद तुम्हें भी मुझमें याराना मिल जाए
यूं सरेआम देखकर भी तुम आखिर
नजरंदाज क्यों हमेशा करती हो
क्या कोई बात है जो छिपा रही हो
या नजरें मिलाने से भी डरती हो
प्यार है तो कुछ देर की किए बिना
मुझे बेझिझक आकर खुद बता देना
या निगाहें मिलाकर बैठो साथ मेरे
और फिर प्यार ना हो तो बता देना
दिल की बात कहना बस में नहीं
इसलिए लिखना मुझे सही लगा है
तुम मुझे सुनोगी तो नहीं शायद पर
पढ़ोगी जरूर इतना तो मुझे पता है
दिल्लगी है तो निगाहों को मिलाकर
थोड़ा सा तुम झुका लेना और
दिल की बेचैनियां बढ़ने लगे तो
झुकी निगाहों को फिर से उठा लेना
अगर मुझे नहीं चाहतीं तो कोई बात नहीं
मेरी बातों को दिल पे मत लिया करो
और अगर जमाने का डर है तो
भला प्यार निगाहों से ही किया करो

