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Saleha Memon

Romance Fantasy

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Saleha Memon

Romance Fantasy

मोहब्बत की हवेली भी नीलाम हो जाए

मोहब्बत की हवेली भी नीलाम हो जाए

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कभी उतरे वो आसमां से चांद

चांदनी सी ही रात हो जाए।

कभी मिले वो दो परिंदे जो

तो शबनम सी शाम हो जाए।

जुगनुओं से करते करते बातें

आफताब से भी मुलाकात हो जाए।


फूलो पर बैठी हुई रंगीन तितलियां भी

इश्क के जाम से परिंदे बन जाए।

किताबों में दिखते वो सुर्ख गुलाब

इश्क की गलियों में गुलज़ार हो जाएं।

पोशीदा से लिखे हुए उनके खत के

हर वो हर्फ एक ग़ज़ल बन जाएं।


कातिब की वो काली स्याही भी

इश्क के लाल रंग में मलाल हो जाए।

अगर ना मिले जो उसकी मोहब्बत तुझे

तो हर लिखा लफ्ज़ कागज की क़ब्र बन जाए।

 शायद बे-ख़्वाब से हर मेरे वो ख़्वाब की

 लिखी हुई हर वो बात भी याद बन जाए।

 आरज़ू तो है एक तरफा ही इश्क की

 शायद मेरी मोहब्बत की हवेली भी नीलाम हो जाए।



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