बेवफा भौरा
बेवफा भौरा
(१) एक बड़ा भौंरा सुबह- सुबह,
गीत गाता गुनगुनाता रे।
कलियों के सामने बहुत प्यार से,
हवा में तांडव दिखाता रे।।
(२) प्रसन्न कली हुई मधुकर के प्रेम में,
धीरे धीरे पंखुड़ी खोलती।
आहिस्ता - आहिस्ता भ्रमर पास आता,
प्यार से उसके गले लग जाती।।
(३) मद मस्त प्रेम में लीन हुई कली,
लब को चूम चूम के मोद हुआ।
चूंकि राहगीर आवारा था,
दिल लगी से कली को खेद हुआ।।
(४) नित्य इश्क की लीला रचाता,
कभी गुलाब कभी चमेली।
मन को उनकी आकर्षित कर,
उनके प्रेम से है खेलता।।
