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Shubham Jain

Romance Fantasy

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Shubham Jain

Romance Fantasy

वह रात भी कमाल थी

वह रात भी कमाल थी

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वह काली रात और मेरे गम,

वह टूटा हुआ दिल और आँखें नम,

सोचने पर मजबूर करती है,

कि किसी के भी अपने नहीं हैं हम।


उस रात पवन की एक मंध सी लहर आई,

और उसने मुझे एक प्यारी सी लोरी सुनाई,

पर मैं भी जनता था और वह भी जनती थी,

कि ना नींद आने वाली है और ना नींद आई।


उस गम मे, मैं पूरी रात रोना चाहता था,

काले आसमान मे कहीं खोना चाहता था,

बस तब मेरी एक आखिरी तमन्ना थी,

कि मैं एक आखिरी बार उसका होना चाहता था।


पर तभी हुआ कुछ ऐसा, जिसकी ना थी मुझे कोई आस,

पीछे मूड कर देखा तो नहीं हुआ विस्वास,

सात समंदर पार से आया था कोई मेरा,

जन्म दिया था जिसने खाड़ी थी वह मेरे पास।


उसने मेरे सारे गमो को भुला दिया,

घुमा कर लाल मिर्च, उस काली नजर को उड़ा दिया,

रखकर मेरा सर अपनी गोद मे,

उन हल्की थपकियो से मुझे सुला दिया।


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