तेरी मेरी कहानी
तेरी मेरी कहानी
कहानी तो बहुत है तेरी मेरी
मुझे बस एक ही अच्छी लगती है
जब नज़रें मिलीं थीं हमसे तो
तुम्हारा ये कहना की
तुम्हारी आँखें समुंदर की बस्ती है
ऐ खुदा मेरे समुंदर में सैलाब ना आने देना
क्यूँ की इनमें किसी की जान बसती है
और किसी की जान हम जोखिम में डाल दें
ये बात हम पर बिलकुल भी नहीं जंचती है
कोशिश तो लाखों रहीं कि इस कहानी को भूल जाएँ
पर कमबख़्त ये दिल नहीं मानता इसको कैसे समझाएँ
हर बार यही कहानी सुनने को दिल चाहता है
पर अब वो शख़्सियत ढूँढने से भी नज़र नहीं आता है
जाने कौन सी दुनिया में वो रूठ कर बैठ गये
हमें तो आज भी उनसे ही लड़ने को जी चाहता है
आओ मेरे हमदम फिर एक कहानी लिखेंगे
सब भूल कर पिछड़ी बातें ये ज़िंदगानी तुम्हारे नाम करेंगे