तेरी दहलीज से
तेरी दहलीज से
साथ फेरे साथ वचन लेकर
मैं तेरी अर्द्धांगिनी बन कर
जिस दिन तेरे महल की
दहलीज को लांघकर
तेरे घर मैं आईं थीं
प्रण किया था उस दिन
अंतिम सांस तक निभाऊंगी
जिस हाल में जिस ढ़ंग से
तुम मुझे रखोगे उसी में रहूंगी
परमेश्वर मान तुझे पूजा करूंगी
तेरी हर इच्छा का मान रखूंगी
तुझ संग जिऊंगी तुझ संग मरूंगी
तेरा सम्मान मेरा सम्मान होगा
तेरा अपमान मेरा अपमान समझूंगी
सुख दुःख में बराबर की हिस्सेदारी
मां बाप को अपना मां बाप समझूंगी
निस्वार्थ भाव से उनकी सेवा करूंगी
चलाओगे जब शब्दों के बाण मुझ पर
चुपचाप उस पीड़ा को सह लूंगी
उठे टीस तन मन में जितनी
कभी उफ़ तक ना करूंगी
तेरी दहलीज पर कदम रखा था
डोली में बैठकर आईं थीं
तेरी दहलीज से रुखसत होऊंगी
अर्थी पर लेटकर जाऊंगी।।

