तेरी छवि
तेरी छवि
फूलों की घाटी में एक नाज़ुक कली जैसी,
हर साँस में घुली कोई मदहोश नमी जैसी।
गहरी रातों में चमकती चाँदनी की तरह,
मन के अंधेरे में जलती रौशनी की तरह।
ख़्वाबों के दर्पण में बस तेरा ही अक्स है,
हर धड़कन में बसा कोई मीठा सा हर्ष है।
तू सावन की छाँव है जो राहत बन जाए,
दिल के वीरान सफ़र में बहार बन आए।
तेरी बातों में घुली है कोई मीठी गूँज,
तेरी हँसी में बसा है कोई अनदेखा साज।
जो भी कहूँ, हर लफ़्ज़ तेरा रूप बन जाए,
जैसे कोई राग दिल की सुरमई शाम सजाए।

