तेरी अदा
तेरी अदा
तेरी छन छन छनकार पायल की
और उस पर कुछ बूदें बारिश की
जो उद्वेलित करती थिरकने को
और करती धा तिनक धिन धा
वो छन की धुन और पैरों की धाप
करती मेरा मन उन्मुक्त चहूँ ओर
मयूर नृत्य हो जाता अविराम
तेरी इन अदाओं पर हो जाता
मेरा मन मुग्ध और तन पुलकित ।।

