तेरी आँखें
तेरी आँखें
तेरी आँखें ..चाय की प्याली सी
सुनहरी धूप खिली हो जैसे
काली अँधेरी रातों में !
गहरे झील की किनारों सी ये पलकें
डूबकर रोज नहाती है जिसमें
चमक तलवार सी देख मन ललचाया ऐसे
बिन फेरे जब हम तेरे हुए !
तेरी आँखें नये बांस की सपोले जैसी
अदा मखमली सीप के मोती सरीखे !

