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Kanchan Prabha

Romance

4.8  

Kanchan Prabha

Romance

तेरे इन्तजार में

तेरे इन्तजार में

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दरीचे से देखती हूँ बैरी चाँद को हँसते हुये

कभी उसकी आँखो में चाँदनी को बसते हुए

तुम आओगे यह बात सोच कर 

मैं भी तुमको सोचती हूँ तरसते हुए !


जुदाई के जख्म हमें मिलते गये हैं 

फिर भी होंठ अपने सिलते गये

तुम आओगे ये बात सोच कर 

मेरे दिल में फूल खिलते गये!


तेरे तस्वीर का कब से हमने दीदार किया है

बेइन्तहा हमने तुम्हे प्यार किया है

तुम आओगे यह बात सोच कर 

मुद्दतों से तेरा हमने इन्तजार किया है!


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