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कीर्ति त्यागी

Romance

4  

कीर्ति त्यागी

Romance

तेरा यूं मिलना,,

तेरा यूं मिलना,,

2 mins
360



एक ख्वाब सा है ,,,,,,,,,


तेरा यूं मिलना इस कदर हावी है,,कि बहकती ही जा रही हूं ,

अनगिनत ख्याबो की महफ़िल यूं ही सजाती जा रही हूं ,,


यूं बहता मन का समन्दर ,,बस बहती ही जा रही हूं,

हां सच है ,, तेरी यादों के चिराग आज भी जला रही हूं,


कुछ उथल पुथल सी मची है मन में ,,उलझती ही जा रही हूं,

तेरी कहीं बातों से ,,आज भी खुद को समझा रही हूं,


कभी डूबता सा महसूस होता है ,, किनारा ढूंढ रही हूं ,

तेरी दी गई उम्मीदों की पतवार में खुद को सम्भाल रही हूं,


आते है‌ जब भी हवा के झोंके ,, तेरी खुशबू ढूंढ रही हूं,

छूती है जब हवा मेरे गालों को ,, एहसास तेरा महसूस कर‌ रही हूं ,


कितने ही उम्मीदों के चिराग जलाए हैं मैंने तेरी खातिर,

पर उन चिरागों में आज भी रोशनी ढूंढ रही हूं,


समझ में आता नहीं है बहुत कुछ ,, समझना चाह रही हूं,

तेरी दी गई तस्सली से शायद खुद को‌ ही समझा रही हूं,


याद बहुत आती है आज भी तेरी ,, तुझे ही याद कर‌ रही हूं ,

पर‌ किस्मत की लकीरों के आगे ,,खुद को बेबस सा पाती हूं,


चाहत खत्म होने से पहले ,,और चिराग बुझने से पहले ,

बस आ जाओ एक बार ,

ये सांसें टूटने से पहले महसूस कर लो ना एक बार,


रात बहुत ही गहरी है ,,दिल में बैचेनी सी मची है ,

रख दो उस हाथ को मेरे हाथ पर ,, जिसमें राहत बड़ी हैं ,


कितने ही टुकड़ों में बट गई है जिंदगी ,, खुद को‌ बांट रही हूं ,

समेट कर रख जाओ उन टुकड़ों को ,, जिनमें खुद को‌ तलाश कर रही हूं ,


ए चांद कुछ तबाही सी मची है एक रहम कर देना ,

मेरी किस्मत के तारे को बस एक बार मुझे सौंप देना,


बताऊंगी उसे कि कितनी जरूरत आज भी है उसकी ,

जिंदगी अधूरी है यारा तेरे बिना कैसे बतलाए कि तेरा यूं मिलना बहुत है ज़रुरी,,


आज फिर तेरी ही डायरी तेरे लिए लिख डाली है

लौट कर ना आ पाओ तो बतलाना अभी कुछ कहानी बाकी है,,


कितना कुसूर था मेरा आज भी अक्सर मैं सोचती हूं,

तेरी ही लिखीं हुई बातों को पढ़कर अक्सर,,


शायद तेरा यूं मिलना एक ख्वाब सा है ,,

उग आया है सूरज देखो मेरी आंखों का क्या नज़ारा है ,,


एक तोहफा है वो‌ अनगिनत बूंदें,

पर पता है मुझे मिलकर भी जो कभी न मिले हम हैं वो‌ अधूरे।



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