तेरी अनकही यादों से लड़ाई
तेरी अनकही यादों से लड़ाई
खुश हो ना यूं आसमां की बुलंदियों पर जाकर,
देख रहे हो ना आज क्या मिल रहा है तुम्हें चाहकर,
गुस्सा करने का दिल आज कर रहा है कसम से तुम्हारा गला दबाने का जी चाह रहा है,
यूं जो हाथ छुड़ाकर चले गए तुम अब जाकर उसका खामियाजा पता चला है,
खुश हो ना यूं मुझे देखकर,, शर्म नहीं आती मुंह फेरकर,
अब तो रात भी नहीं कटती तेरी अनकही यादों में रहकर,,
इंतजार करना उस वक्त का जब होगा तेरा मुझसे सामना,
धरती तेरे लिए तो रही नहीं पर हां आसमान पर ही पड़ेगा तुझे भागना
हंसी आ रही है तुझे अपने बालों का ख्याल करना,
आने दे मुझे सबसे पहले तेरे सर को ही है मुंड़ना
चल ना आज फिर रात का प्रोगाम बनाते हैं फिर वही गंगा के किनारे कुछ वक्त बिताते हैं,
तुम आसमां पर और मैं यहां,, वाह वाह लड़ने के कितने अच्छे बहाने है,
सूनो ना आज फिर वही चाय की टपडी पर लड़ने का मन है
सच बताना क्या आज पाकेट में पर्स है
अच्छा क्या याद तुम्हें भी आती है,वो कॉलेज की कैंटीन फिर बुलाती है
घंटों बहस करते हुए न जाने कब शाम गुजर जानी है
एक बात मैंने तुझसे छुपाकर रक्खी है हां है आज भी बेइंतहा मुहब्बत तुझसे ये तेरी डायरी को बता रखी है
तू निर्मोही हो गया है पता है मुझे तब ही तो तुने अकेले ही गगन में रहने की ठानी है,
तू चला गया तुझ सा कोई न मिला सच ही कहा है किस्मत से मिलती दोस्ती और यारी है
पर सच कहूं कसम से तेरी हर बात मेरे लिए एक अनूठी सी निशानी है
पागल अंगूठी नहीं अनूठी हमेशा ही तुझे ये तकरार कर जानी है
क्या ही है ना अपनी मुहब्बत वाली दोस्ती जो किसी की भी समझ नहीं आनी है,
लौट आ यार अब तो लड़ा भी नहीं जाता बस तेरी ज़रूरत है
थक गई हूं शायद मैं,, हाथ थाम ले अब मेरा पर हां लड़ाई अभी भी वही है
ओहो ज्यादा खुश मत होना ये तेरी यादों की मेहरबानी है
जो लिख डाली है मैंने भी एक रचना जो इस जिंदा दुनिया की समझ कहा आनी है
चल सो जा तू भी तो थक गया है रात मिलन की बाकी है,
इंतजार करुंगी तेरे वापस आने का कि लड़ाई अभी बहुत बाकी है।

