तेज गति (कविता)
तेज गति (कविता)
नीले कुर्ते ते मरून लैगिंग पहने
लंबे-लंबे डग वो भरे जा रही थी
उम्र उसकी यही कोई 11-12 रही होगी
घर या कहीं पहुंचने की शायद उसको बड़ी जल्दी थी,
साथ में उसके छोटे भाई-बहन थे
वो दोनों खिलखिला कर हंसते-हंसते
मचलते हुए चल रहे थे,
अपने पीछे-पीछे चलने वाले
कुत्ते से वो शायद डर रहे थे,
कुत्ता उनसे कुछ कह नहीं रहा था
ना ही कुछ कर रहा था
वह तो बस उनके पीछे चल रहा था
थोड़ा सा उनको सूंघ भी रहा था
शायद उसको (कुत्ते को) कुछ आस थी
अपनी थैली में से वह नीले कुर्ते वाली
उसको कुछ निकाल कर खाने को देगी
इसी आस में उनके पीछे-पीछे चल रहा था
उनकी थैली में क्या था
ये तो उसकी समझ से परे था
बस समझ रहा था, कि कुछ टुकड़ा
उसको भी निकाल कर इसमें से मिलेगा
कुत्ते की आस बेकार थी
नीले कुर्ते वाली को तो
अपने गंतव्य पर आगे
बढ़ने की बड़ी जल्दी थी
वह भी क्या करे, वो तो
खुद भी अभी बच्ची ही थी
भाई-बहनों को भी साथ
ले जाने की जिम्मेदारी
उस को सौंपी गई थी
कुछ पाने की, कुत्ते की
आस को वो नादां न
समझ सकी
वो तो भाई बहनों को
डर से बचाने के लिए
कंकर उठाकर कुत्ते
को दिखा रही थी
कुछ ऐसा ही चक्र है
जो निरंतर चल रहा है
जाने यहां किसी को, किसी से
जाने कौन सी, बंधी आस है
हर एक हृदय में बसी केवल
अपने ही दर्द की गहरी प्यास है
प्यास की भी कैसी निराली
सी ही बात है
एक बुझती नहीं, कि दूसरी
पहले ही मुंह बाए खड़ी
रहती है,
बुझेगी भी कैसे?
सदियों से
प्यास, प्यासी ही तो
निरंतर अपने सफ़र को
उस नीले कुर्ते वाली की
तरहां ही तो तेज-तेज गति
से आगे बढ़ रही है।।