Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Ridima Hotwani

Abstract Romance Fantasy

4  

Ridima Hotwani

Abstract Romance Fantasy

बढ़े चलें।#sm टास्क- 5

बढ़े चलें।#sm टास्क- 5

1 min
346


कब, क्यों ,किधर, कैसे

किसके लिए ,किसके साथ

बस इसी आधार पर

हर डगर की राह अपने

सफर को आगे बढ़ती है हर बार


आगे बढ़ती है, कोई कहानी गढ़ती है

हर कहानी, खुद में ही बयां, जाने

कितना कुछ करती है,हर कहानी

किसी न किसी की, दास्तां बनती ही बनती है


हम-तुम, तुम-हम, बस यूं ही

चलते चलें,, साथ-साथ,

कभी खुशियां,, तो कभी, गम की भी बरसात

यूं ही बढ़ते-बढ़ते,

सफर एक रोज, हो जायेगा पूरा है ऐतबार।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract