बढ़े चलें।#sm टास्क- 5
बढ़े चलें।#sm टास्क- 5
कब, क्यों ,किधर, कैसे
किसके लिए ,किसके साथ
बस इसी आधार पर
हर डगर की राह अपने
सफर को आगे बढ़ती है हर बार
आगे बढ़ती है, कोई कहानी गढ़ती है
हर कहानी, खुद में ही बयां, जाने
कितना कुछ करती है,हर कहानी
किसी न किसी की, दास्तां बनती ही बनती है
हम-तुम, तुम-हम, बस यूं ही
चलते चलें,, साथ-साथ,
कभी खुशियां,, तो कभी, गम की भी बरसात
यूं ही बढ़ते-बढ़ते,
सफर एक रोज, हो जायेगा पूरा है ऐतबार।