अहसास
अहसास
जिन अहसास के धागों के पोर
इन उंगलियों से उलझे थें
उन पोरों के दूसरे छोर तुम्हारे हाथों से तो
कहीं नहीं लिपटे थे।
हजार बार दिल को बहलाया है,
आंखें झूठी हैं ये यकीं दिलाया है,
घावों पे पड़े छालों ने हर बार,
सच से पर्दा हटाया है,
झूठा लेप न कर ये समझाया है।
हां अब, अपने यकीं को
सही राह का धुंधला सा मोड़
देर से-दूर से ही सही नजर तो आया है
आरज़ूओं ने आज अरमानों की
चिताओं पे दर्द भरा
काष्ठीय मरहम लगाया है।