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Ridima Hotwani

Abstract

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Ridima Hotwani

Abstract

ऊंचाई

ऊंचाई

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ऊंचाई की सरहद

दिखती है कितनी

खूबसूरत

सच कहें

तो

हर एक को

होती है इसकी

जरुरत।।

सबकी अपनी ही होती है

ऊंचाई की परत

किसी की

बिंदू पे आके

टिक जाती है

किसी की

खिंचती-खिंचती

बढ़ती चलती है

उम्र भर।।

ऊंचाई को पाने के लिए

किसी को जाना पड़ता है

ऊंचाई पर,,

कोई ऊंचाई की माप को

ही नाप लेता है

टिक कर यहीं

ज़मीं पर।।



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