"तड़प "
"तड़प "


याद हमें करने से भला क्या ?
दिल तड़पने से भला क्या ?
दूर जा के बस गए हो तुम !
अपनों को भूल गए हो तुम !!
बूढ़ी माँ को थोड़ा याद करो !
अपनी मिट्टी से प्यार करो !!
तुम्हें बुलाती है अपनी धरती !
बांहें पसारे ये सब दिन रहती !!
विदेशों में तुम्हें प्रवासी कहेंगे !
वक्त पड़ने पर मुंह मोड लेंगे !!
तुम जो अपनों से बिछड़ जाओगे!
अपने बच्चों से यही तुम पाओगे !!