तानाशाह
तानाशाह
बेरहम तानाशाह रथ पर जब सवार जो हो जाए,
पहियों के नीचे बेकसूर अवाम को रौंदता जाए,
अदब और क़ानून का जनाज़ा निकालता जाए,
सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी ही मनमानी करता जाए |१|
शराफ़त को जो दफन करता ही जाए,
मासूमियत को कफन पहनाता ही जाए,
पढ़े लिखे माहिर को ज़लील करता जाए,
अपने इस ग़लत फ़ितरत को बढ़ाता जाए |२|
बेदर्द तानाशाह क़ौम को बर्बाद करता जाए,
मुल्क में तिजारत को ज़मीन के नीचे ले जाए,
लोगों में ज़हरीली नफ़रत फैलाता चला जाए,
तारीख में यह उदासी ज़ख्मी वाक्या दर्ज हो जाए |३|
ताकत हमेशा किसी के पास ठहर न जाए,
वक्त का पहिया जब पूरी तरह से पलट जाए,
वही रथ के पहिये के नीचे ज़ालिम कुचला जाए,
कुदरत हमेशा ज़ालिम को सबक सिखाता जाए |४|