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Juhi Grover

Abstract Tragedy

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Juhi Grover

Abstract Tragedy

ताजमहल

ताजमहल

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पुख्ता बुनियाद पर टिकी थी इमारत,

उस पर लिख दिए कई बड़े इबारत।


प्रशंसा के कसीदे तो बहुत पढ़े गए,

नेताओं ने कई भाषण भी पढ़ दिए।


मगर नहीं दिखा बनावट का भी राज़,

उन पर नहीं कहे ज़रा भी अल्फाज़।


बनाने वाले कारीगर दर्द ही सहते रहे,

उनके ज़ख्मों की आह के लफ़्ज न रहे।


ये ही था ताजमहल के पीछे अत्याचार,

कैसे होगा पूरा उन का ये बस प्रतिकार।


ताज महल को तो मिली हर बार वाह,

उन गरीबों के लिए न निकली इक आह।


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