स्याही कागज
स्याही कागज


स्याही कागज के बिना,पूरा होय न लेख
कोरा कागज पर लिखे,समझो साथी देख।
कागज पे तुम लिख चलो,अपने दिल की बात
कभी मिले मन को सुकूँ, कभी मिले आघात।
मन की मिटती प्यास है, मिटता है सब भूख
मिलती कभी प्रसन्नता, कभी मिले हैं दुःख।
स्याही से हैं रच दिए, महापुरुष सब ग्रन्थ
धर्म कर्म की ज्ञान की, निकल पड़े हैं पन्थ।
बिन स्याही क्या लेख है, होता क्या कुछ काम
कागज पर दुनिया चले, लेकर प्रभु का नाम।