स्वर्णिम तितली
स्वर्णिम तितली
उड उड़ चलती स्वर्णिम तितली
उमंग भरी नर्तन करती
पंख हिलाती रंग दिखाती
निकट कभी और दूर कभी
प्यारी तितली मैं भी नभ में
विचरण करता स्वच्छ विमान में
दूर गगन की स्वर्णिम तितली
तुम क्यों पास न आ जाती ?
नील गगन में विचरण करने
कितनी बार निमंत्रण भेजा
फिर भी तितली एक न मानी
तितली तुम क्यों साथ न आती ?
तितली मेरे साथ आने को
मुग्ध कराकर उड़ जाने को
साथ बैठकर मीठी बोली
लालसा न क्या बोलने को ?
तितली आओ भोजन करने
एक साथ हम खाएँगे
फिर भी दूर गगन की तितली
तुम क्यों पासन आ जाती ?
फूल फूल पर बैठ खुशी से
कौन वस्तु तुम चुगती हो ?
फूलों से क्या बोलती हो ?
दूर दूर तुम जाकर अब भी
फुलवारी के कोने में तुम
गुलाब में रह क्या करती ?
मधु पीकर मद मत्त बनी हे
तुम क्यों पास न आ जाती ?
उड उड चलती स्वर्णिम तितली
उमंग भरी नर्तन करती
दूर गगन की स्वर्णिम तितली
तुम क्यों पास न आ जाती ?