STORYMIRROR

ANANDAKRISHNAN EDACHERI

Children

4  

ANANDAKRISHNAN EDACHERI

Children

स्वर्णिम तितली

स्वर्णिम तितली

1 min
278

उड उड़ चलती स्वर्णिम तितली

उमंग भरी नर्तन करती

पंख हिलाती रंग दिखाती 

निकट कभी और दूर कभी


प्यारी तितली मैं भी नभ में

विचरण करता स्वच्छ विमान में

दूर गगन की स्वर्णिम तितली

तुम क्यों पास न आ जाती ?


नील गगन में विचरण करने

कितनी बार निमंत्रण भेजा 

फिर भी तितली एक न मानी

तितली तुम क्यों साथ न आती ?


 तितली मेरे साथ आने को

 मुग्ध कराकर उड़ जाने को

 साथ बैठकर मीठी बोली

 लालसा न क्या बोलने को ?


तितली आओ भोजन करने

एक साथ हम खाएँगे

फिर भी दूर गगन की तितली

तुम क्यों पासन आ जाती ?


फूल फूल पर बैठ खुशी से

कौन वस्तु तुम चुगती हो ?

फूलों से क्या बोलती हो ?

दूर दूर तुम जाकर अब भी


फुलवारी के कोने में तुम

गुलाब में रह क्या करती ?

मधु पीकर मद मत्त बनी हे 

तुम क्यों पास न आ जाती ?


उड उड चलती स्वर्णिम तितली

उमंग भरी नर्तन करती

दूर गगन की स्वर्णिम तितली

 तुम क्यों पास न आ जाती ?


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Children