स्वप्ना सुंदरी
स्वप्ना सुंदरी
सपनो में देखा जिसे,उस का वर्णन कर रहा हूँ
दूर खड़ी हस रही ,जिस का पीछा कर रहा हूँ
सोचा न था कोई इतनी हसीं होगी,
सुनहरे बाल और लबो पे हंसी होगी,
न जाने कहाँ से आई थी,
दिल चुरा कर ले गई,
में तो ठहरा ,उसे देखता ही रह गया।
वो सुनहरे बाल का चेहरे पे आना,
वो हाथ से उसे कान के पीछे रखना,
वो बालों के साथ उसका यूं खेलना,
में तो ठहरा ,उसे देखता ही रह गया।
वो आँखों में नमी,
वो गालों पे गुलाबी,
उस का मुझे देख कर यूं शर्माना,
नजाने हवा का यूं रुक सा जाना,
में तो ठहरा , उसे देखता ही रह गया।
यूँ उस का मटक कर चलना,
बालों का यूं हवा से बातें करना,
हाथ के इशारे से मुझे यूं बुलाना,
पर,
में तो ठहरा ,उसे देखता ही रह गया।
की हिम्मत और गया उसके पास,
सोचा न था इतनी आसान होगी बात,
चेहरे पे एक अनोखा नूर था,
होटों से जिसने लिया मेरा नाम था,
पर,
में तो ठहरा ,उसे देख ता ही रह गया।
उस के चेहरे का वो तेज,
उस के कान की वो बालियां,
दिल में उठ रहे कुछ सवाल थे,
जिनका आँखें ढूंढ रही जवाब थी,
पर,
में तो ठहरा , उसे देखता ही रह गया।
सोचा जाके कह दूँ दिलकी बात,
पूछूं क्या दोगी मेरा साथ ?
करके हिम्मत गया उसके पास,
पर,न जाने क्या हुआ
में तो ठहरा, उसे देखता ही रह गया।
कर रही थी वो किसी का इंतज़ार,
आने वाला था कोई उस का प्यार,
जिसके लिए थी वो बेक़रार,
पर,मैं बेचारा
में तो ठहरा , उसे देखता ही रह गया।
पहली मुलाकात में मोह लिया था,
अपने सौन्दर्य से कैद कर लिया था,
आगे कुछ बोल ना सका,
क्यूंकि , आप सबको पता है,
में तो ठहरा , उसे देखता ही रह गया ।
,