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Jay Bhatt

Abstract

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Jay Bhatt

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ज़िन्दगी के रंग

ज़िन्दगी के रंग

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ये ज़िन्दगी तुम्हें कई रंग दिखती है,

कभी रोना तो कभी हसना सिखाती है,

कई मौके भी देती है,

रोते रोते हसने का भी स्वाद चखा ती है।


कई वजह है रोते रोते हसने की,

कई साजिशें है आँसुओ को हसीं से जोड़ने की,

कम्भख्त वक़्त भी कितना जल्दी बदल जाता है,

अभी तो हसना शुरू किया था,

पर अब बात आ गई रोने की।


छोटा था तब अक्सर रोता था,

नजाने कितने दर्द सेहत था,

बस माँ का सिर्फ इतना ही पूछ ना काफी था,

तुम ठीक तो हो बेटा,

फिर क्या था,

दर्द का गायब हो जाना ही काफी था।


इस ज़िन्दगी में भी,

रोते रोते हसना सीखा है,

कठिनाइओं से सफलता की ओर,

खुद को ले जाते देखा है,

गिरे भी है,

चोटे भी खाई है,

और हस्ते हस्ते रोना भी सीखा है।


सीखा है की,

जितना रोना उतना ही हसना जरुरी है,

मेहनत के साथ साथ किस्मत भी जरुरी है,

कोशिश तो कर एक बार,

जित जित के कभी हार ना भी जरुरी है।


कर चढाई,

ज़िन्दगी का सफर आसान नहीं,

खड्डो से मत दर,

मंज़िल अब दूर नहीं,

रखना है,

तो खुद पे यकीं रख,

वरना ये ज़िन्दगी तेरी यूँ ही बर्बाद सही।


सब चीज़ों को हँस के लिया है,

रोए भी बहुत है,

अब वक़्त हमारा है,

अब रोने से कुछ नहीं होगा,

अब ज़िन्दगी लम्बी है,

और हँसने के दिन भी कम है।


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