कुछ नया सिख लेते है
कुछ नया सिख लेते है
काफी कुछ बदला,
और काफी वैसा ही रह गया,
कुछ पुराने छूटे,
और कुछ नए से मिलना हो गया।
बारह महीनों का ये साल,
युॅंहीं निकल गया,
किनारे कर दिए दुखु,
और सुखो से वास्ता जोड़ लिया।
कई अच्छे,
तो कई गलत काम भी हुए,
जितने की चाह में,
सरे आम भी हुए।
कुछ खट्टी,
तो कुछ मीठी यादें भी बनी,
न चाहते हुए भी,
अनचाहो से नजदीकियां बढ़ानी पड़ी।
ये साल जल्दी निकल गया,
हम तो दिन गिनते रह गए,
आने वाले साल के,
कुछ गिनती के ही दिन रह गए।
चलो तो इस आखरी वक़्त को समेट लेते है,
इस साल से कुछ सिख लेते है,
बारह महीने का साल होता है,
हर महीने से कुछ नया सिख लेते है।