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संदीप सिंधवाल

Abstract Romance

4.0  

संदीप सिंधवाल

Abstract Romance

सवाल छोड़ गया

सवाल छोड़ गया

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उसका चले जाना एक सवाल छोड़ गया 

यादों के दायरों का एक बवाल छोड़ गया।


जब साथ थे तब कद्र ना होती थी उनकी

प्यार समझे नहीं यही मलाल छोड़ गया।


बड़े मशगूल रहे हम अपने यारों के बीच

वो कलेजा नोच कर हलाल छोड़ गया।


कुछ रह गुजर बाकी थी शायद जिंदगी से

कुछ सीखने को मुझे इस हाल छोड़ गया।


किसी का आना जाना तो आम 'सिंधवाल'

पर उनका जाना एक मिसाल छोड़ गया।


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