सुविधाओं का त्याग
सुविधाओं का त्याग
सुविधाओं का त्याग जरूरी हो जाता है,
जब सपनों का लक्ष्य कठिन हो जाता है l
सब्र से काम लो हड़बड़ी में बिगड़ सकता है,
सब्र से हर बिगड़ा काम सफल हो सकता है l
जल्दबाजी में बना काम भी बिगड़ सकता है,
सब्र से देश का हर मसला हल हो सकता है l
राज नेता के लिए भी यह सबक जरूरी है,
खुद की सुरक्षा नहीं देश का विकास जरूरी है l
सुविधाओं का त्याग जरूरी हो जाता है,
जब सपनों का लक्ष्य कठिन हो जाता है l