खुशियाँ बटोरते रहे
खुशियाँ बटोरते रहे
खुशियों के बाज़ार में कुछ लोग
खुशियाँ बाँटने आते थे,
सब लोग खुशियाँ बटोरते रहे,
कुछ लोग केवल दूसरों को खुशियों देते रह गये l
कुछ लोग यही कहते रह गये,
अपने हिस्से की ख़ुशी तो मिल ही जाएगी,
सब अपनी खुशियाँ बटोर के ले गये,
हम दूसरे की खुशियों में ही ख़ुश होकर रह गये l
खुशियाँ भी सबके नसीब में नहीं होती,
कुछ तो दूसरों की ख़ुशी का ध्यान रखते हैं,
कुछ केवल अपनी ही ख़ुशी बटोरते हैं,
हम तो लोगों की ख़ुशी देखकर ही ख़ुश हो गये l
खुशियों के बाज़ार में कुछ लोग
खुशियाँ बाँटने आते थे,
सब लोग खुशियाँ बटोर के चले गये,
हम उनकी खुशियाँ देखकर दंग रह गये l