STORYMIRROR

Sheetal Raghav

Tragedy Fantasy Children

4  

Sheetal Raghav

Tragedy Fantasy Children

सुपरमैन द पावर मैन!!

सुपरमैन द पावर मैन!!

1 min
367

सुपरमैन, 

क्या तुमने, 

दुनिया का संकट, 

नहीं देखा ?


देखा,अगर तो, 

उसे पहले से, 

क्यों नहीं रोका ?


तुम अगर रोक उसे,

वहीं पर लेते, 

पकड़ कर वापस, 

चाइना भेज देते, 


तो कितना अच्छा हो जाता, 

कोई भी प्राणी ना फिर, 

प्राणों से जाता, 

प्राण अगर तुम बचा पाते, 

तो फिर से, 

हमारे हीरो बन जाते,


सुपरमैन क्या तुमने, 

इंसानों को रोते नहीं देखा ?

लाशों भरा, 

क्या तुमने

कहीं-कहीं पर, 

ढेर नहीं देखा देखा ?


अगर देखा तो, 

महामारी को फैलने से, 

क्यों नहीं रोका ?

तुम अगर,

महामारी को वही,

पर रोक लेते, 


फिर कहीं भी, 

किसी देश में, 

आधी जली हुई, 

लाशों वाले, 

मंजर ना होते, 


काश तुम, 

महामारी फैलने से, 

रोक पाते,

तो फिर से हमारे हीरो बन पाते,


या कहूं कि ,

तो फिर से हमारे हीरो बन जाते,

एक भी जुदा ना, 

अपनों से हो पाता, 


घर का मुखिया, 

ना दुनिया से जाता,

वह घर मे ही रह जाता,


काश तुमने, 

यह सिलसिला,

शुरू होने से पहले, 

रोका होता,


तो देश यह, 

सोने की चिड़िया नहीं, 

तो खुशियों की चिड़िया, 

तो अवश्य होता,


ना ही कोई डाल छोड़ने पर, 

मजबूर ही होता,

ना ही घरौंदा अपना छोड़ना, 

एकमात्र विकल्प ही, 

उसके समक्ष प्रस्तुत होता,


सुपरमैन काश तुमने, 

यह सब कुछ देखा होता, 


काश सब कुछ,

तुमने विध्वंस होने से पहले ही, 

रोक लिया होता, 


तो मैं भी गर्व से कहता, 

काश सुपरमैन, 

हमारे देश का नेता होता।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy