सुफियाना
सुफियाना


इश्क़ की नज़्म को हमने भी गा लिया,
इस इश्क़ की लत में मैंने खुद को भी वार दिया,
दो नैनों की बाज़ी में,
तू जीत गया मैं हार गया,
ना जाने क्या कशिश थी उनकी अदा में,
मैं खुद को भी भूल गया।।
इश्क़ की नज़्म को हमने भी गा लिया,
इस इश्क़ की लत में मैंने खुद को भी वार दिया,
हमें कुछ कहने का मौका कब मिला,
उन्होंने आंखों में हमारी सब पढ़ लिया,
पहली बार ये हसीन मौका हमें मिला,
कुछ
सूझा ही नहीं बस उन्हें अपनी बांहों में भर लिया।।
इश्क़ की नज़्म को हमने भी गा लिया,
इस इश्क़ की लत में मैंने खुद को भी वार दिया,
बिन कहे सब सुन लिया,
हमें भी ना मालूम हुआ,
ना जाने उन्होंने कब हमारा सुख चैन ले लिया,
ना जाने कब ये दिल उनका हुआ।।
इश्क़ की नज़्म को हमने भी गा लिया,
इस इश्क़ की लत में मैंने खुद को भी वार दिया,
तू जैसा है मैंने तुझे वैसा ही चाहा है,
कोई बंदिश अब मुझे रोक ना सकेगी,
इस दिल ने एक बस तुझे ही चाहा है,
अब कोई जुदाई मिलन रोक ना सकेगी।।