सुनहरा भारत
सुनहरा भारत
कुछ सुनहरे पल बीता वक्त दे जाता...
उज्ज्वल भविष्य का आगाज़ कभी वो कर जाता..
यह जिंदगी एक किताब है..
काश!! इसके शब्द कोई पढ़ पाता...
कितना खोया कितना पाया..
कितना हंसाया कितना रुलाया...
काश!! रेत के मानिंद फिसलता वक्त हिसाब दे जाता..
अनवरत नव निर्माण करते रहना....
कुछ नया सीखने की उमंग.....
अमिट छाप के चिन्ह दुनिया का देखना....
नित नए प्रयोगों की उठती लहर तरंग....
काश!!जिंदगी की कोशिशों को यह रंग दे जाता..
स्याही से निकला हर लफ्ज़ पहचान बन जाए..
कविता कहानियों की जादू के रंग सिर चढ़ बोल जाए..
काश!! इस नए प्रयोगों का जिक्र हर पन्ने की मिसाल बन जाए...
लिखने के हुनर यूँ तो बहुत देखे हैं..
शायरी कलाम को सूफियानों में बदलते देखा है..
काश!! आरज़ू है अंजुमन में निकली ग़ज़ल गुलजा़र बन जाए...।
