सुंदरता
सुंदरता
तन की हो वो चाहे हो मन की
अहम हिस्सा है दोनों जीवन की
कोई जहां में है पहचान को बदलता तो
कोई दूसरों की आंखों का रंग है बदलता।
कोई है जन जन के दिलों में बसती तो
कहींं कोई हमेशा है निगाहों में सजती
किसी को मिलता जग में प्रसिद्धि सम्मान
तो किसी को इतराता है उसका अभिमान।
हर रोज कोई प्रशंसा है अपनी पाता
तो कोई कोई रोज बस ठोकरें खाता
रोज प्रशंसा सुनकर भी वो अपने
ठोकर वाले के होते साकार सपने।
वो गिरता तो फिर उठता खुद था
कोई बस पाकर तारीफ ही खुश था
वो गिरता गया और फिर चलता रहा था
और तारीफ से कहीं घमंड पलता रहा था।
