सुखद अनुभव
सुखद अनुभव
ऐ री सखी आज इस नील गगन की देखो तो जरा सुंदरता l
कितनी मनभावन लग रही है बादलों की यह पंक्तियां ll
कहीं-कहीं श्याम तो कहीं-कहीं श्वेत धवल l
यह मनाकर्षक मेघ मानो हो फूलों की लड़ियां ll
कुछ खिली - खिली सी, कुछ दिखे जरा अधखिली सी l
जैसे हो राधा कृष्ण के बाग की कलियां ll
ए सखी री मन का मयूरा मेरा आज बावरा सा हो रहा l
देखकर अचरज भरी बादलों की यह सुन्दर बगिया ll
बचपन की, जवानी की, गांव और मोहल्ले की l
आज आ जाओ दूर - पास कि मेरी सारी सखी सहेलियां ll
स्वच्छंद व उन्मुक्त मन से जरा आज हम भी सखी री l
घूम आए हम भी यह सुंदर बादलों की गलियां ll
कहीं-कहीं गुच्छों में भी दिख रही है यह बदलियां l
मानो हो यह श्वेत पुष्पों से भरी- भरी डलियाँ ll
यह शुभ धवल बादल कतारों में आज ऐसे सजे l
जैसे लगी हो आसमां में बादलों की सुन्दर क्यारियां ll
ए री सखी जरा देखो यह धवल चंचल बादल l
इस तरु में उलझ कर, कर रहा कैसी अठखेलियां ll
हे सखी री कितना मनमोहक, सुंदर दृश्य है यह l
दुआ करो इस सुखद अनुभव से आल्हादित हो आज सारी दुनिया ll