STORYMIRROR

Deepti Tiwari

Classics Fantasy Inspirational

4  

Deepti Tiwari

Classics Fantasy Inspirational

सुबह

सुबह

1 min
217

फिर वही अंधेरी रात ,

फ़ैला है सन्नाटा चारों ओर,

मै अकेली इन रास्तों को निहारती,


कब जाएं ये अंधेरा मन के चहूं और से,

यही सोचते सोचते आंख लग गई,

सुबह फिर एक नई किरणों और चिड़ियों की


चहचाहट ने मानों कानो में कोई नया संगीत घोला है,

सुकून मिला कि एक नए सुबह के लिए मैं आज भी यहां हूं,

फिल फूलों का मुस्कुराना हुआ,

तितलियों का मेरे आंगन में आना हुआ,

खुश हु बहुत की काली रात,


सुनहरी सुबह में बदल गई,

ऐसे ही ना रहना कभी कोई उदास,

क्योंकि हर रात के बाद एक सुबह ज़रूर आएगा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics