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हरि शंकर गोयल

Classics Inspirational

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हरि शंकर गोयल

Classics Inspirational

नन्ही उम्मीदें

नन्ही उम्मीदें

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भयानक काली रात से डरकर 

जब चांद कहीं छुप जाता है 

तब सुदूर आसमान में टिमटिमाता

संघर्ष करता एक नन्हा सा सितारा 

दिल में "नन्ही उम्मीदें" जगाता है। 


युद्ध के भयावह मैदानों में 

जब मौत ताण्डव करती है 

तब खून की नदियों के बीच 

शांति की नन्ही उम्मीदें खिलती है 

निराशाओं के घनघोर बीयाबान में 

मनुष्य जब खुद को अकेला पाता है

तब दूर कहीं पर जलता नन्हा दीपक 

आशा की लौ से नन्ही उम्मीदें जगाता है

जब सारे सहारे डूब जायें 

अपनों का साथ भी छूट जाये 

कोई भी राह ना सूझ पाये 

जब मौत सामने नजर आये

तब "तेरा नाम" एक उम्मीद बनकर 

मन को ढ़ांढस बंधाता है 

और जब मन "तुझसे" एकाकार हो जाये 

तब मोक्ष स्वतः प्राप्त हो जाता है। 


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