प्रेम दीवानी मीराबाई
प्रेम दीवानी मीराबाई
मीरा प्रेम दीवानी हो गई, कृष्ण नाम बस बोल रही।
कृष्ण नाम का जाप करती, गली गली में डोल रही।
महल दुमहले सारे छोड़े, छोड़ी धन दौलत सारी।
त्याग दिया नाते रिश्तों को, त्यागी सब सखियाॅ॑ प्यारी।
साॅ॑वरिया बस मेरो कान्हा, यही सभी से बोल रही।
मीरा प्रेम दीवानी हो गई, कृष्ण नाम बस बोल रही।
भक्ति बहुत प्रबल मीरा की, जहर भी अमृत कर डाला।
काॅ॑टों की भेजी सेज थी राणा, फूलों की उसे बना डाला।
कृष्ण दीवानी मीराबाई, भक्ति का रस घोल रही ।
मीरा प्रेम दीवानी हो गई, कृष्ण नाम बस बोल रही।
बचपन में ही मीरा बाई, दिल में कृष्ण बसा बैठी।
लीन हो गई कृष्ण प्रेम में, दिलवर उन्हें बना बैठी।
कृष्ण भक्ति में डूबी मीरा, भक्ति की खिड़की खोल रही।
मीरा प्रेम दीवानी हो गई, कृष्ण नाम बस बोल रही।
अपनी भक्ति की शक्ति से, साक्षात कृष्ण दर्शन पाए।
भक्ति में मगन रही जीवन भर, कृष्ण धाम के सुख पाए।
मीरा की भक्ति की गागर, आज भी जग में हिलोल रही।
मीरा प्रेम दीवानी हो गई, कृष्ण नाम बस बोल रही।
