सुबह सुबह
सुबह सुबह
सुबह सुबह जब सूर्य हुआ उदय,
मन में जागी उस ईश्वर से लगन।
सीधा मंदिर पहुंचा ले प्रसाद तो,
पूजा अर्चना कर मन हुआ मगन।।
सुबह सुबह जब सैर पर निकला,
क्या ठंडी ठंडी हवा थी मतवाली।
बागों में मयूर नाच रहे थे कितने,
हल लेकर जा रहे थे हजारों हाली।।
सुबह-सुबह जब घर से निकला,
निज गुरुदेव के हो गये थे दर्शन।
सूर्यदेव की छवि निराली लगती,
जैसे श्रीकृष्ण निकले हो सुदर्शन।।
सुबह-सुबह जब घर से निकला,
मात पिता को किया झुक प्रणाम।
आशीर्वाद दिया मिल दोनों ने तो,
हुआ आत्मबल का मुझको ज्ञान।।
सुबह-सुबह निकला सैर पर तो,
आई बाबा रामदेव की बड़ी याद।
कितने लोग योग करते दिखे जो,
स्वस्थ रखने की कर रहे फरियाद।।
सुबह सुबह जब घर से निकला,
मन में लेकर अनेकों ही अरमान।
भागदौड़ की जिंदगी बन चुकी है,
अंतिम सत्य का नहीं है अब ज्ञान।।
सुबह सुबह जब निकला ही था,
स्कूली बच्चे मिले जाते तब स्कूल।
सोचता ही चला गया तब मैं आगे,
शिक्षा आज दिन जगत का है मूल।।
सुबह सुबह की सैर करके आया,
मन हो गया था पूर्ण ही प्रफुल्लित।
दिन भर काम को मन करने लगा,
आनंद का मन में बजने लगा गीत।।