Brijlala Rohan

Romance Classics Inspirational

4  

Brijlala Rohan

Romance Classics Inspirational

सुबह का सैर

सुबह का सैर

1 min
547


एक दिन मैं सुबह सैर को निकला, मैंने देखी प्रकृति की अद्भुत कला। कोयल की प्यारी कलरव भरी कूक। मन को सुकून पहुँचा देती जगा देती पलभर के लिए असीम शांति भरी सुख। कलकल- छलछल करती नदी जल धाराएँ। मन में उमंगों की जगा देती फव्वाराएं। ये सब दृश्य एक अलग ही पारलौकिक शांति की एहसास करा रही थी।

पूरब दिशा में फैली नील-गगन में सूरज की सौरभमय लाली। याद आती मेरी 'लीली 'की जिनसे ही आज है मेरी जिंदगी में खुशहाली। मेरी जिंदगी की बगीचे में उनसे ही तो छाई है पतझड़ में भी हरियाली।

पेड़ - पौधे प्रेम में अपनी पत्तों को हवाओं से पखार रहे हैं।  सारे जगत के प्राणी आज प्रेम में सराबोर है। आज ही हुआ मेरी जिंदगी में प्रकृति के असली सुकून का दर्शन। आज अगर मेरी आसमां भी अनुज्जल के साथ होती तो दिल को पहुंचता असीम हर्शन। हो रहे हैं आज हम प्रकृति के छटा से रूबरू। हम कहां उनसे दूर और वो कहां हमसे दूर। दिल में उनकी धड़कन एहसास बनकर करा रही उनसे पलपल हमें रूबरू। 

 हल लेकर किसान अपने खेतों की तरफ बढ़े चली आ रहें हैं। जाल लिये मछुआरे आ रहे नदी किनारे। रजक भी कपड़ा लिये रमते आ रहे नदी किनारे। सब अपनी - अपनी कार्य में तत्पर दिख रहे हैं आज। मेरी भी उनसे मिलने की बची है अंतिम काज ! दिल की सुकून पा जाऊं जब पा लूं उनको। कर रहा हूं सदियों से उनकी दिल पे राज।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance