चंचल मन
चंचल मन
चंचल मन काहे शोर करे ?
उसकी बातों की ओर चले।
गली - गली ढूंढे उसे दीवानी,
लिखने को एक नई कहानी,
चंचल मन काहे शोर करे ?
उसकी बातों की ओर चले।
रातों को जाग उसे ताँका था,
धीरे-धीरे दिल में उसके झाँका था,
चंचल मन काहे शोर करे ?
उसकी बातों की ओर चले।
बातों में उसकी ऐसी गर्मी है,
पिघली बदन की सारी चर्बी है,
चंचल मन काहे शोर करे ?
उसकी बातों की ओर चले।
नींद में भी उसको जब पुकारा था,
ज़िस्म हरकतों से ऐसा हारा था,
चंचल मन काहे शोर करे ?
उसकी बातों की ओर चले।
आज पास गर वो मेरे आ जाए,
कसम से फिर वो नशा छा जाए,
चंचल मन काहे शोर करे ?
उसकी बातों की ओर चले।