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राजकुमार कांदु

Tragedy Crime

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राजकुमार कांदु

Tragedy Crime

सत्य आज मौन है

सत्य आज मौन है

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दहाड़ता है झूठ सत्य को कहे तू कौन है

झूठ की विकरालता से सत्य आज मौन है ..

दूषित हुआ है मन, दूषित विचारों की लहर चली

इंसानियत से हो विमुख, इंसान की डगर चली

रावण दिखें गली गली ,पर राम यहाँ कौन है

झूठ की विकरालता से सत्य आज मौन है …..


बच्चियाँ हैं चिखतीं, समाज है बहरा हुआ

मासूम पर शैतानों का अब वार है गहरा हुआ

ना देखते मासूम ना ही देखते वार्धक्य हैं

मासूम से बचपन पे भी अब खौफ का पहरा हुआ

खतरा भरा है सब जगह, महफूज यहाँ कौन है

झूठ की विकरालता से सत्य आज मौन है …..


झूठ और लूट की लहर चली गली गली

बेलगाम भँवरे हैं और त्रस्त है अब हर कली

साहूकार मस्त और लोग अब त्रस्त हैं

भ्रष्टाचार अत्याचार की जैसे लहर चली

गरीब नाम जपके ही तो वो अमीर हो गए

खो दिया है लाज शर्म औ जमीर खो गए

मिल जाए गरीब ,पूछें ये बता तू कौन है

झूठ की विकरालता से सत्य आज मौन है


मर रही इंसानियत अब मर रही संवेदना

मजलूमों की अनसुनी है आज हर एक वेदना

लूट कर अस्मत उसी के बाप को मरवा दिया

और रिश्तेदारों को भी मौत से हरवा दिया

न्याय माँगे मृत्यु मिले अब सहारा कौन है

झूठ की विकरालता से सत्य आज मौन है


आत्ममुग्ध नेता हैं अब आत्मकेंद्रित लोग हैं

चोरी डाका भ्रष्टाचार बढ़ने वाले रोग हैं

हो अगर अनहोनी तो अब लोग शूटिंग कर रहे

फेसबुक, व्हाट्सएप पर इंसानियत हैं भर रहे

तोड़ दे कोई दम समक्ष पर बचाता कौन है

झूठ की विकरालता से सत्य आज मौन है


ओढ़ चोला त्याग का अब लूट रहे महात्मा

बढ़ रहे हैं अब अधर्मी, धर्म का है खात्मा

धर्म आज राजनीत, धर्म अब व्यापार है

बाबा हों प्रसन्न, काले धन का बेड़ा पार है

बाबाओं जैसा व्यापारी आज भला कौन है

झूठ की विकरालता से सत्य आज मौन है


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