STORYMIRROR

आचार्य आशीष पाण्डेय

Action

4  

आचार्य आशीष पाण्डेय

Action

स्त्री शक्ति

स्त्री शक्ति

1 min
335

पड़ी विपत्तियां धरा वसुंधरा खड़ी मिली

कुमारिता विहीन हो कठोरता जड़ी मिली

मनोज्ञ वासिता वही मनोज्ञता विहीन हो

विनाशनी धरा सदा विनाशनी लडी मिली।।


अनंग अंग त्याग के अंगन नंग थी करी

सुरत्न से सजी हुई अरत्न हो गयी परी

धरी भुजा विशाल व्याल काल वज्र को धरी

समस्त शत्रु सैन्य शौर्य अट्टाहास में हरी।।


समुद्र अद्रि भेदती प्रकाश रिक्त फेंटती

कराल काल व्याल से अमित्र तुल्य भेटती

नहीं जयी हुआ कभी लड़ा पराजयी हुआ

जिसे मिली न वासिता नहीं मिली कहीं दुआ।।


शिवेश वेश धारणी सुब्रह्म तेज धारणी

अनंत की महानता सु संत में प्रसारिणी

प्रपंच पंच से हरी सुधा रसाल को दयी

त्रिरश्मि अंश चारु है समस्त लोक वासनी।।


विमोहनी विलासिनी सु मन्द मन्द हासनी

प्रकोप से बढ़ी यदी विनाश की विनाशनी

प्रसन्न हो गयी यदी समस्त कृच्छ दान की

कथा कहां कहां लिखूं सुवासिता महान की।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Action