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सोनी गुप्ता

Abstract Classics Inspirational

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सोनी गुप्ता

Abstract Classics Inspirational

स्त्री जीवन

स्त्री जीवन

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स्त्री जीवन क्यों दुखों का ढेर बन गया

क्या लिखा था

क्या लिखा था जो सिर्फ मेरे लिए था

विवाह का जब मौका आया

छोड़ा पिता का आँगन


अपना घर छोड़ आखिर क्यों विदा किया

किसका है ये नियम

बदल गया पूरा जीवन कुछ न पहले जैसा रहा

स्त्री जीवन...........


माँ का आँगन छूटा अब न कुछ मेरा रहा

अब कहाँ है मेरा ठिकाना

सब का सब बदल गया

स्त्री जीवन क्यों दुखों का ढेर बन गया

ना ही कोई मंजिल ना अपना कुछ रहा


हो गई पराई छूट गया अंगना

सपनें जो बुने थे सब अधूरे रह गए

पिया का घर अब है अपना

यही मन को समझाया

अब जीना है पिया के लिए


माँ बनकर एक नया अनुभव पाया

फिर क्यों अपने बेटे ने ही मुझे ठुकराया

जो ख़ुशी मिली सब धूल हो गई

स्त्री जीवन क्यों दुखों का ढेर बन गया


गाना-मेरा जीवन कोरा कागज़ कोरा ही रह गया

फिल्म –कोरा कागज़


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