सती सावित्री
सती सावित्री
जन्म से लेकर यौवन तक,
नारी को मिलती है मान !
एक पुरुष से जो होती है खुश,
सतीत्व है उसका महान !
नारी होती है माँ और बेहन,
नारी मिट्टी और आसमान !
भार्या बनकर होती है पत्नि,
बेटी से होती दुल्हन !
पुरुष से मिलना साथ निभाना,
है नियम सृष्टि का !
दुख में दुखी सुख में सुखी,
होना है कर्म उसका !
पत्नि बनकर साथ देना है,
संकट और गरीबी को !
अपनी नजर में न आये कोई,
पति भगवान सती को !
नाजायज सम्पर्क नहीं बनाती,
मरने तक सती नारी !
सावित्री बनकर हृदय को सदा,
बनती है पति की आभारी !
सती बनना आसान नहीं,
करना सतीत्व का काम !
युग युग में लिख देती है,
बन जाती है महान !