ठंडा मौसम
ठंडा मौसम
आया है ठंडी का मौसम
धरती और असमान को।
छा गया है सब के दिल पर
चाहत है सबको झुमने की।
दिन होता है छोटा सा और
रात होती है बड़ी न्यारी।
कंबल के नीचे हैं मानव
जब होता है दुनिया अंधेरी।
खेत का काम छोड़कर सब
रात को घर लौटते हैं।
मज़ा आता है आग के पास
बैठकर उमस लेते हैं।
सूरज आने से पहले सुबह
घास में चमकती शिशिर।
मोती की जैसे फूल में शोभा
पानी की बून्दों का तुशार।
शीत ऋतू में खिलने वाली
फूल है कुटकी और चमेली।
बिखरती है खुश्बू अपनी
लुभाती है जन और तितली।
सब ऋतु है प्यारी अपनी
कोई किसी से नहीं कम।
सबके साथ मिलझुल कर
दिन काट लेते हैं हम।।